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खुशियाँ लौट आईं
Fun Story खुशियाँ लौट आईं:- प्रकाश आठवीं कक्षा में पढ़ता था। वह नित्य नियम से सवेरे जल्दी उठकर पार्क में घूमने जाया करता था। आज भी वह हमेशा की भांति पार्क से घूमकर लौटा तो मां ने उसे गिलास भर दूध लाकर दिया। प्रकाश ने अभी आधा ही गिलास पिया था कि उसके मुंह का जायका बिगड़ गया। (Fun Stories | Stories)
क्या हुआ बेटे, तूने दूध छोड़ क्यों दिया? मां ने आश्चर्य से पूछा।
“क्या बात है मां, आज दूध काफी पतला है और इसमें से अजीब सी गंध भी आ रही है!" प्रकाश ने मुंह बनाया।
“यह दूध अपनी गौरी का नहीं, सामने नुक्कड़ वाले लाले की दुकान का है। वह तो कह रहा था एकदम ताजा दूध है"। मां ने बताया तो प्रकाश चौंक पड़ा। गौरी का क्यों नहीं, क्या उसने दूध नहीं दिया?' उसने पूछा।
“गौरी को तो तेरे पिताजी कल शाम को ही बेच आये, मैं तुझे बताना भूल गई। (Fun Stories | Stories)
“बेच दिया?..पर क्यों?" प्रकाश ने पूछा तभी उसके पिताजी वहां आ गये।
“मैं बताता हूं। दरअसल गौरी की देखभाल के लिए हमने जिस आदमी को रखा था वह काम छोड़कर चला गया। दूसरा वाला दुगने पैसे मांग रहा था। अब तेरी मां से तो यह सब होता नहीं, बस इसीलिए मैंने उसे बेच डाला।" पिताजी ने बताया।
प्रकाश भागकर घर के पिछवाड़े बाड़े में गया। वहां सब सूना पड़ा था। खूंटा खाली था। न गौरी के रंभाने की आवाज थी न उसके नन्हे...
प्रकाश भागकर घर के पिछवाड़े बाड़े में गया। वहां सब सूना पड़ा था। खूंटा खाली था। न गौरी के रंभाने की आवाज थी न उसके नन्हे बछड़े मोती की उछलकूद। प्रकाश का मन उदास हो गया। उसे गौरी से बड़ा लगाव था। उससे बिछुड़कर प्रकाश अनमना सा हो गया। उसका किसी काम में मन नहीं लग रहा था। उसे गौरी की याद सता रही थी। स्कूल से आकर वह एक बार सीधा बाड़े में जरूर जाता। गौरी के शरीर पर हाथ फेरता तो वह भी पूंछ हिलाकर प्रकाश के स्नेह का प्रत्युत्तर देती। फिर वह दूसरा काम करता। (Fun Stories | Stories)
पर गौरी की अनुपस्थिति में वह उदास हो गया। एकाएक उसे ख्याल आया कि क्यों न गौरी को, वापस लाया जाये। वह पिताजी के पास गया और मन की बात बता दी।
"पिताजी, गौरी की देखभाल का जिम्मा मैं लेता हूं। आप उसे वापस ले आईए।" वह बोला।
“तुम पढ़ाई कब करोगे, गौरी को चारा देना, पानी पिलाना, दूध दुहना यह सब कर सकोगे?" (Fun Stories | Stories)
"पिताजी, मैं वादा करता हूं कि अपनी पढ़ाई में कोई बाधा नहीं आने दूंगा। खेलने और सोने के समय में कटौती करके गौरी की जिम्मेदारी उठाऊंगा।" प्रकाश ने दृढ़ विश्वास से कहा। तो पिताजी मान गये।
शाम को पिताजी पैसे वापस देकर गौरी को घर ले आये। प्रकाश गौरी को घर लौटा देख खुशी से झूम उठा। वह भागकर सीधा उससे लिपट गया। गौरी भी रंभाते हुए पूंछ हिलाकर अपनी खुशी का इजहार करने लगी। उसकी बड़ी-बडी आंखों में स्नेह की भाषा साफ पढ़ी जा सकती थी।
प्रकाश ने उसके आगे चारे की डलिया रखी और उसके शरीर पर प्यार से हाथ फिराने लगा। नन्हा मोती अपनी मस्ती में उछलकूद करता हुआ खुशी प्रकट कर रहा था। गौरी के वापस आने से मानो पूरे घर की खुशियां लौट आईं थीं। (Fun Stories | Stories)
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